Saturday, 15 June 2013

शीश के दानी

शीश के दानी 


जब श्री कृष्ण ने उनसे उनके शीश की मांग की तो उन्होनें अपना शीश बिना किसी हिचकिचाहट के उनको अर्पित कर दिया और भक्त उन्हें शीश के दानी के नाम से पुकारने लगे। कृष्ण पान्डवों को युद्ध में विजयी बनाना चाहते थे, बर्बरीक पहले ही अपनी माँ को हारे हुये का साथ देने का वचन दे चुके थे और युद्ध के पहले एक वीर पुरुष के सिर की भेंट युद्ध भुमि को करनी थी अत: कृष्ण ने उनसे शीश का दान मांगा।

लखदातार 

भक्तों की मान्यता रही है कि बाबा से अगर कोई वस्तु मांगी जाती है तो बाबा लाखों लाख देता है इसीलिये उन्हें लखदातार के नाम से भी जाना जाता है।

हारे का सहारा 

जैसा कि इस आलेख मे बताया गया है बाबा ने हारने वाले पक्ष का साथ देने का प्रण लिया था इसीलिये बाबा को हारे का सहारा भी कहा जाता है।


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